जहंवा से आयो अमर वह देसवा।
ब्राह्मण छत्री न सुद बैसवा, मुग़ल पठान न सयद सेखवा।
आदि जोत नहिं गौर गनेसवा , ब्रह्मा बिस्नु महेस न सेसवा।
जोगी न जंगम मुनि दरवेसवा , आदि न अंत न काल कलेसवा।
दास कबीर ले आये संदेसवा , सार सबद गहि चलो वा देसवा।
- संत कबीर
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कबीर के मानवव्यापी विचार, ये संत सचमुच महामानव और विश्वमानव थे ।
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