Monday, June 5, 2017

Random

मंजिल पे है तो, कहीं जाना क्या ?
इश्क किया तो, मैखाना क्या?
लाख जुल्म भुगते हो भले,
विरह न झेले, तो दीवाना क्या?


Saturday, June 3, 2017

Random

सागर हो और किनारा,
रात घनेरी और  सितारा ।
सावन हो और मल्हार गूंजे,
ऐसे ही बने है हम एक दूजे।

तू कहे भी न तो,
तेरी आँखों से पढ लूं।
तेरी आहट से ही ,
तेरी तबियत खबर लूं।