Sunday, March 26, 2017

कही यु ही जिंदगी गुजर न जाये

कही यु ही जिंदगी गुजर न जाये,
देखकर औरो को, सपने बनाने में,
कद दिखाने में, चंद पैसे कमाने में ।
कट रहा है वक्त, संसार के प्रपंच में,
छोड़कर जाना सभी है ,इस जीवन के अंत में।
जितना बटोरेगा रे मूरख ,
भूख सेे ज्यादा क्या खायेगा।
नित पल ऐसे जीता है जैसे की,
तू अमर रह जायेगा।
एक जीवन है, एक जवानी,
जोगने का ? की  भोगने का ?
ऐसा न हो जब होश आये ,
समय न हो चेतने का।
- वागीश (October 29, 2016)


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