Saturday, June 3, 2017

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सागर हो और किनारा,
रात घनेरी और  सितारा ।
सावन हो और मल्हार गूंजे,
ऐसे ही बने है हम एक दूजे।

तू कहे भी न तो,
तेरी आँखों से पढ लूं।
तेरी आहट से ही ,
तेरी तबियत खबर लूं।

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