सागर हो और किनारा,
रात घनेरी और सितारा ।
सावन हो और मल्हार गूंजे,
ऐसे ही बने है हम एक दूजे।
तू कहे भी न तो,
तेरी आँखों से पढ लूं।
तेरी आहट से ही ,
तेरी तबियत खबर लूं।
रात घनेरी और सितारा ।
सावन हो और मल्हार गूंजे,
ऐसे ही बने है हम एक दूजे।
तू कहे भी न तो,
तेरी आँखों से पढ लूं।
तेरी आहट से ही ,
तेरी तबियत खबर लूं।
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