Sunday, March 26, 2017

प्रेम विरह गीत

बस एक नाम नहीं दूंगी  , इस रिश्ते को सनम,
कोई फरियाद न होगी , न कोई कसम।
तुम जानो या न जानो , मेरे सभी तुम्ही हो,
परवाह नहीं किसी की , जन्नत मिले या गम।
बस एक नाम .....
सौ फासलें हो फिर भी , तुम ही तो रगों में,
सजाई सेज बैठी , ताकू राह मैं जतन में ।
इस बिरहा में पूरी हुई मै, जग लागे मोहे भरम,
बस एक नाम नहीं दूंगी , इस रिश्ते को सनम।
बस एक नाम .....

--वागीश (१४ जनवरी २०१७ )



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