Sunday, March 26, 2017

ऐसी खेली होली की

ऐसी खेली होली की,
मेरा सारा रंग निखर सा गया।
मेरे कोरे कोरे जीवन में,
रंग भगवा सा जकड़ सा गया।
ऐसी नाची पिया के संग,
तन-मन मेरा बिखर सा गया।
बिन खाये भांग, बिन पिए मदिरा,
मुझे तेरा नशा चढ़ सा गया।

- वागीश (११ मार्च २०१७ )



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