लाखों हैं तेरे चाहने वाले , मैं कैसे तुझे पा जाऊंगा,
है अच्छे मुझसे कितने भी , मैं कैसे तुझे बुलाऊंगा ।
तुझे पाने के मैं योग्य नहीं, ऐसा क्यों मन कहता है ?
निर्मल नहीं मैं बालक सा , मन वासनाओ में रहता है ।
कृपा कर प्रभु इस मन से ही, दे दे मुझको अब छुटकारा,
ले ले सरणागत अब मुझको , मिट जाये "मैं "पन सारा।
जो तेरी इच्छा वो मेरी इच्छा , न रह जाये कोई चाह मेरी,
सत्य प्रकट हो अब इसमें , रहूँ बस तेरे प्यार की राहत में।
इस जीवन में दे लक्ष्य तेरा , उत्साह तेरा, दे जोश तेरा,
दे दे मुझको तेरी खुमारी,दे ध्यान तेरा , दे होश तेरा।
- वागीश
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