हे खुदा मुझको बता,
ये दर्द ,तन्हा, दुख, अशांति ,
मुझे ही क्यों, मुझे ही क्यों।
ये घनघोर अंधेरा, बदनसीबी का घेरा,
मुझे ही क्यों, मुझे ही क्यों।
खुदा मुझे खुशियों की बहार दे,
हाथ मे व्यवहार दे।
दे अगर तुझमे है दम ,
मुझे लोगो क्या प्यार दे।
जब दुख आया तो याद किया,
खुशोयों में तूने नकार दिया।
तेरा ये रंग बदलना मुझे रास न आया,
और तू मुझसे मांगने चला आया।
तेरे पास दो वक्त की रोटी है ,
कई ऐसीं है जो पेट काटकर सोती है।
दर्द देखना है अस्पतालों में जा,
अशांति देखनी है तो मैखानो में जा।
इच्छा और मनोकामना से,
जीवन मे सिर्फ निराशा है।
सुख शांति सम्मान का
संतोष ही परिभाषा है।
2005
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