नैनन में नही है प्यास इतनी,
कैसे तुझे बुलाऊँ मैं।
नही भक्ति भाव है इतना प्रबल,
की तुझमे लीन हो जाऊ मैं।
बस तेरी कृपा हो हे प्रभुवर ,
यह आस लगाए बैठा हूँ।
क्या मंजिल है, कहां साहिल है,
एक झलक तो हमको दिखला दे।
कर एक कृपा तू और प्रभु,
हमको गुरुवर से मिलवा दे।
-वागीश
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