Tuesday, September 12, 2017

दुआरे पे निमिया के छाँह जइसे

दुआरे पे निमिया के छाँह जइसे ,
पियासन के बट्टा में जाम जइसे ।
हमके तू करेजा में परान देलु ,
थकल जिनगी में विराम देलु ।

बिसर गइनी चतुराई सबहुँ ,
जोड़ घटाना.. पंचाइत सब।
मिलिके तोहसे जब बतियवानी,
पिरीत (love) के रस बुझाइल तब।

बिरह के पीरा ..रेती  जइसे चुभे,
निंदिया न आवे,  जग सूती सब ।
शिपी जइसन गला के खुद के
रेत के बना लिहनी मोती तब ।

-वागीश

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