सहज
Saturday, September 30, 2017
शायरी
रंगों ने तो आंखों को रंग दिए,
मेरे महबूब ने रोम-रोम रंग डाला।
मदिरा का नशा तो कुछ पल ही था,
उसने आँखों से पागल कर डाला।
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