Saturday, September 30, 2017

दर्द

इस दर्द का मरहम भी नही था, 
दवा ने भी इस जख्म को और दुखाया । 
नींद में कही कुछ सुकून तो था , 
लेटें रहे पूरी रात... नींद कहाँ आया!
उनके चेहरे में चांद देखते थे पहले,
देखकर चांद आज लगा साया।
ये दर्द दे दिया कितना गहरा ,
क्यो कुदरत ने हमको ऐसे मिलवाया ?





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