Friday, September 8, 2017

जाने किन शब्दो में कह दु

जाने किन शब्दो में कह दु ,
हाल हॄदय का प्राण प्रिये।
ढाई अक्षर बया न कर पाये ,
दिल का ये उफान प्रिये।
कहीं परवाने (moth) की चाहत को ,
कोई शब्दों में कह पाया क्या ?
जल जाता जो दीया तले ,
जग व्यर्थ कहे पर वाया(waste) क्या ?
इस महफ़िल से कोई रंज नही ,
हर मुश्किल को मैं राजी हूँ ।
तेरा नाम ही मेरा कलमा है ,
तेरे द्वार का अब मैं हाजी हूँ।
तेरी यादों के आलिंगन में,
गल जाए सब अभिमान प्रिये।
जाने किन शब्दो में कह दु ,
हाल हॄदय का प्राण प्रिये।

-वागीश 

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