आँखों से ख़ुमारी का शराब बह रहा,
ह्रदय भी मासूक का ही गीत कह रहा।
मेरे प्रेम का अब कोई इरादा नहीं रहा,
दुनिया का कोई अब सितम ज्यादा नहीं रहा।
नहीं दूर तू मुझसे , अब तनहाईयों में भी ,
मुकम्मल हूँ मैं तेरे , जुदाईयोँ में भी ।
आँख जो मिल जाएं तो ग़ुबार आ जाये,
उलझा हुआ मन , इस जहाँ के पार हो जाये।
- वागीश (२१ जनवरी २०१७ )
ह्रदय भी मासूक का ही गीत कह रहा।
मेरे प्रेम का अब कोई इरादा नहीं रहा,
दुनिया का कोई अब सितम ज्यादा नहीं रहा।
नहीं दूर तू मुझसे , अब तनहाईयों में भी ,
मुकम्मल हूँ मैं तेरे , जुदाईयोँ में भी ।
आँख जो मिल जाएं तो ग़ुबार आ जाये,
उलझा हुआ मन , इस जहाँ के पार हो जाये।
- वागीश (२१ जनवरी २०१७ )
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