चैन छुड़ा दे पल में सबकी,
मरुस्थल में दे दर्श अनल की।
सुख का इशारा वहां दिखाएँ,
जहाँ न हम कुछ शाश्वत पाएँ।
सबपर इसकी सत्ता ऐसी,
भुला दिया पहचान स्वयम की।
स्वयम भुला के फिर भी माना,
प्रतिभा औ अभिमान दे डाला।
फिर संसार में रस को दिखाया,
चक्कर में कुछ ऐसा फसाया।
नौकरी, छोकरी, शोहरत, नाम,
धन, वैभव, पदवी और काम।
- वागीश (२० जनवरी २०१७)
मरुस्थल में दे दर्श अनल की।
सुख का इशारा वहां दिखाएँ,
जहाँ न हम कुछ शाश्वत पाएँ।
सबपर इसकी सत्ता ऐसी,
भुला दिया पहचान स्वयम की।
स्वयम भुला के फिर भी माना,
प्रतिभा औ अभिमान दे डाला।
फिर संसार में रस को दिखाया,
चक्कर में कुछ ऐसा फसाया।
नौकरी, छोकरी, शोहरत, नाम,
धन, वैभव, पदवी और काम।
- वागीश (२० जनवरी २०१७)
mirage in desert |
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