बस हुई , हां बस हुई,
छोड़ तो कोशिश , क्योकि हारोगे।
छोड़ दो फरियाद,
क्योकि गलत ही सोच बैठे हो।
छोड़ तो कोशिश , क्योकि हारोगे।
छोड़ दो फरियाद,
क्योकि गलत ही सोच बैठे हो।
सोचने से नहीं होने वाला,
न करने से होने वाला।
कृपा की देन है , तो तैयार रहो,
खाली बनकर, एकदम खाली।
इतना रिक्त हो जाओ कि,
खुद ही धड़कन सुन सको।
इतने अव्यस्त हो जाओ कि,
आसमान को घंटो निहार सको।
तुम इस संसार को बदलने नहीं आये हो,
तुम्हे खुद के लिए भी कुछ करना नहीं है।
बस बहो , बस बहो , बस बहो ,
सांय-सांय करते हुए निकल जाओ बागियों से,
चलो कन्दराओं में, जंगलो में,
समुन्दर की तुम्हारा मुकद्दर है,
आखिर कल तो मिटना ही है l
न करने से होने वाला।
कृपा की देन है , तो तैयार रहो,
खाली बनकर, एकदम खाली।
इतना रिक्त हो जाओ कि,
खुद ही धड़कन सुन सको।
इतने अव्यस्त हो जाओ कि,
आसमान को घंटो निहार सको।
तुम इस संसार को बदलने नहीं आये हो,
तुम्हे खुद के लिए भी कुछ करना नहीं है।
बस बहो , बस बहो , बस बहो ,
सांय-सांय करते हुए निकल जाओ बागियों से,
चलो कन्दराओं में, जंगलो में,
समुन्दर की तुम्हारा मुकद्दर है,
आखिर कल तो मिटना ही है l
-वागीश (१९ जनवरी २०१७ )
नदी का सागर में मिलन |
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