Saturday, April 15, 2017

सावन

सावन वर्षा बरखा आया,
लेकर गंध सुहानी।
आया झोंक पवन का ऐसा ,
लेकर रिमझिम पानी।
ऐसा सावन देख सुहाना ,
लोगो का मन खिल आया ।
सखियों ने मिलकर मधुरमय,
सावन का गाना गाया।
मोर भी अपने पंख उठाकर ,
लगे नाचने गाने।
बच्चे झुंड बनाकर चलें ,
गलियारों में नहाने।
पपीहा भी संतुष्ट हुआ ,
धरती ने प्यास बुझाई।
चीटियों ने बारात निकाली ,
दादुर ने ली अंगड़ाई ।

2005

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