Friday, May 5, 2017

नारी

मै वो नहीं जो तुम देखो तो,
आँखे दबा लू |
नजरें नापाक तुम्हारी हो और ,
मै  आँचल से  छुपा लू |

तुम राह बनाओ ... उस राह चलूँ ,
ऐसी  भी गुमराह नहीं |
खामोश बेड़ियों में क्यों बंध  जाऊ ?
मुझे लोकलाज की परवाह नहीं |

न थोपो अपनी सत्ता को ,
हम गाएंगे अपनी ही धुन |
आज़ाद हूँ मै उतनी ही ,
जितने स्वतंत्र  औ स्वछंद हो तुम |

- वागीश



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