मै वो नहीं जो तुम देखो तो,
आँखे दबा लू |
नजरें नापाक तुम्हारी हो और ,
मै आँचल से छुपा लू |
तुम राह बनाओ ... उस राह चलूँ ,
ऐसी भी गुमराह नहीं |
खामोश बेड़ियों में क्यों बंध जाऊ ?
मुझे लोकलाज की परवाह नहीं |
न थोपो अपनी सत्ता को ,
हम गाएंगे अपनी ही धुन |
आज़ाद हूँ मै उतनी ही ,
जितने स्वतंत्र औ स्वछंद हो तुम |
- वागीश
आँखे दबा लू |
नजरें नापाक तुम्हारी हो और ,
मै आँचल से छुपा लू |
तुम राह बनाओ ... उस राह चलूँ ,
ऐसी भी गुमराह नहीं |
खामोश बेड़ियों में क्यों बंध जाऊ ?
मुझे लोकलाज की परवाह नहीं |
न थोपो अपनी सत्ता को ,
हम गाएंगे अपनी ही धुन |
आज़ाद हूँ मै उतनी ही ,
जितने स्वतंत्र औ स्वछंद हो तुम |
- वागीश
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