जब तुम रोटी मांगोगे ,
वो जाति खतरे में है कहेंगे।
जब नौकरी मांगोगे तो ,
अल्लाह, राम की याद दिला देंगे।
बेरोजगार जवानो से ,
वे अपना काम चलवाएंगे।
जो अकेला था और सोचता था ,
उसी भीड़ बना देंगे।
वो तुम्हे वोही दिखाएंगे जो वो चाहेंगे ,
झूठी खबरों का चश्मा चढ़ाएंगे।
जब तुम हक़ की मांग करोगे तो ,
वो तुम्हे स्मारक और पार्क बना देंगे।
जिसे नींद नहीं आती ,
उसको भी सपने दिखाएंगे।
फिर जब वापस चुनाव आएगा ,
तो लाउडस्पीकर पे जिंगल बजवायेंगे।
जिंगल बदल जायेगा ,
मुखौटा बदल जायेगा।
यही चलता रहेगा जबतक ,
तुम नहीं सोचोगे, तुम नहीं टोकोगे ।
-वागीश